Tuesday 9 January 2018

♥♥सर्दी वाली परी ...♥♥

♥♥सर्दी वाली परी ...♥♥
सर्दी वाली परी मौन है।
धूप का भी न पता कौन है।
कंटक मेरे जीवन पथ पर,
खिले फूल और लता कौन है।

विस्मय बोध हुआ है मन को,
देखके उनके परिवर्तन को,
क्षण भंगुर सा टूट गया मैं,
चोट लगी है अंतर्मन को।

पीड़ा कम हो जो विरह की,
लेप, छाल वो बता कौन है।
कंटक मेरे जीवन पथ पर,
खिले फूल और लता कौन है...

नीले फूल, कली गुमसुम है।
बहुत विवशता का मौसम है।
नयनों में लाली के मेघा ,
पलकों का आंचल भी नम है।   

तुमको प्रेम किया यदि मैंने,
तो बोलो के खता कौन है। 
कंटक मेरे जीवन पथ पर,
खिले फूल और लता कौन है।"   


 चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-09.01.2018

(मेरी यह रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित, सर्वाधिकार सुरक्षित )


Friday 5 January 2018

♥♥♥♥चकनाचूर ...♥♥♥♥♥



♥♥♥♥चकनाचूर ...♥♥♥♥♥
मुझको दूर किया है तुमने। 
दिल को चूर किया है तुमने। 
जीवन भर जो हँस न पाऊं,
यों मजबूर किया है तुमने। 
क्यों कर तुमने फेर लिया मुंह,
जान के मेरे जज़्बातों को,
बेदर्दी से ख्बाव मेरा हर,
चकनाचूर किया है तुमने। 

यदि प्यार के धागे सच में, इतने ही कच्चे होते हैं। 
तो फिर प्यार न करने वाले, लोग ही क्या अच्छे होते हैं। 
नातें, कसमें, सौगंधों की होली यहाँ जलाई जाये,
सच को झुठला देने वाले, लोग ही क्या सच्चे होते हैं। 

"देव " मेरे हंसमुख चेहरे को,
यों बेनूर किया है तुमने। 
बेदर्दी से ख्बाव मेरा हर,
चकनाचूर किया है तुमने। "

 चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-05.01.2018