Saturday 12 April 2014

♥मासूम मोहब्बत …♥

♥♥♥♥मासूम मोहब्बत …♥♥♥♥
गुनगुनाते हुए लम्हों की कसम!
खिलखिलाते हुए ग़ुलों की कसम!
प्यार तुमसे है, कह रहा हूँ मैं,
जगमगाते हुए दीयों की कसम!

तेरी नाराज़गी के डर से ही,
अपने जज़्बात में छुपाता हूँ!
देख लेता हूँ तुमको छुप छुप कर,
दिल ही दिल में, मैं मुस्कुराता हूँ!
सोचता हूँ तुम्हे अकेले में,
और ख्यालों में तुमको पाता हूँ!
तुम क्या जानो के बेबसी कितनी,
सांसें तक भी मैं भूल जाता हूँ!

तुम ही पढ़ लो वफ़ा निगाहों में,
गीत, ग़ज़लों की, कहकहो की कसम!
प्यार तुमसे है, कह रहा हूँ मैं,
जगमगाते हुए दीयों की कसम...

अपनी पलकों को जब, झुकाती हो!
बड़ी प्यारी सी नजर, आती हो!
देखकर तुमको जिंदगी मिलती,
एक उम्मीद सी जगाती हो!
"देव" तुमसे ही मुझमें प्यार जगे,
सारी दुनिया में तुम ही भाती हो,
मेरे एहसास के उजालों में,
तुम ही दीया हो और बाती हो!

काश बिन बोले तुम समझ जाओ,
प्यार की उन सभी हदों की कसम!
प्यार तुमसे है , कह रहा हूँ मैं,
जगमगाते हुए दीयों की कसम!"

....चेतन रामकिशन "देव"…....
दिनांक- १२.०४.२०१४