Thursday 6 June 2013

♥♥दर्द के गहरे घाव ..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दर्द के गहरे घाव ..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
तुम जो मेरी आंख से बहता, अश्कों का सैलाब समझते!
मेरे लफ्ज़ भी नहीं बिलखते, जो तुम उनका भाव समझते!
दवा से ज्यादा दुआ तुम्हारी, असर मेरे ज़ख्मों पे करती,
गर तुम मेरे दिल में शामिल, दर्द के गहरे घाव समझते!

बिन महसूस किये तुम मेरा, दर्द भला क्या सुन सकते हो! 
तुम मेरे जीवन के पथ से, कांटे कैसे चुन सकते हो!

नहीं काटते मेरी जड़ को, जो मेरा फैलाव समझते!
तुम जो मेरी आंख से बहता, अश्कों का सैलाब समझते...

बहुत सरल है ये कहना के, तुम खुद को समझाकर देखो!
गला दर्द से रुंधा हो लेकिन, गीत खुशी के गाकर देखो!
इस दुनिया में "देव" किसी की, चोट तभी तुम समझ सकोगे,
जब तुम जलती धूप में तपकर, दर्द को खुद अपनाकर देखो!

ये दिल के एहसास ही तो हैं, जो दूरी को कम करते हैं!
जो गैरों की चोट देखकर, अपनी आँखों नम करते हैं!

तुम भी रोते तन्हाई में, गर अपना बरताव समझते!
तुम जो मेरी आंख से बहता, अश्कों का सैलाब समझते!"

.................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-०६.०६.२०१३