Friday 24 May 2013

♥♥पत्थर की दुनिया..♥
नेक रास्ते तंग हो रहे!
प्रेम के फीके रंग हो रहे!
आज आदमी के दुनिया में,
पत्थर जैसे ढंग हो रहे!

दिल संवेदनहीन हो गया, 
प्रेम का धागा क्षीण हो गया!
आज आदमी इस तरह से,
अपने सुख में लीन हो गया!
लोग तड़पती देह का चेहरा,
देख के पीछे हट जाते हैं,
लगता है अब मानवता का,
स्तर बिलकुल दीन हो गया!

अपने हमको मिटा रहे हैं,
दुश्मन बेशक संग हो रहे!
आज आदमी के दुनिया में,
पत्थर जैसे ढंग हो रहे...

बड़ी बड़ी बातें लिखते हैं,
बड़े बड़े दावे करते हैं!
लेकिन वक़्त जरुरत पर वो,
अपना दिल छोटा करते हैं!
"देव" नहीं मालूम दुनिया का,
ऐसा आलम रहेगा कब तक,
इस दुनिया में कातिल खुश हैं,
और यहाँ पीड़ित मरते हैं!

गम के रेतीले मंजर में,
हम जलकर बदरंग हो रहे!
आज आदमी के दुनिया में,
पत्थर जैसे ढंग हो रहे!"

..चेतन रामकिशन "देव"..
दिनांक-२५.०५.२०१३

"सर्वाधिकार सुरक्षित"