Sunday 20 January 2013

♥♥सरसों के फूल..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥सरसों के फूल..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सरसों जैसे फूल खुशी के, जीवन को पीला करते हैं!
और कभी आँखों के आंसू, गालों को गीला करते हैं!

जीवनपथ में कभी पराजय, अंधकार का मौसम लाती!
और कभी खुशियों की रंगत, अंधकार को दूर भगाती!
इस जीवन की जिजीविषा में, अक्सर ऐसा होता यारों,
कभी जिंदगी हंसती है तो, कभी जिंदगी नीर बहाती!

कभी मिलन के फूल सुनहरे, मन को चमकीला करते हैं!
सरसों जैसे फूल खुशी के, जीवन को पीला करते हैं...

ये जीवन सुख-दुख की बेला, हार-जीत की उपलब्धि है!
कभी ये जीवन तंगहाल है, कभी ये जीवन समृद्धि है!
सुनो "देव" तुम उन्नत रखना, सोच हमेशा अपने मन की,
सही सोच के संग रहने से, मानव जीवन में शुद्धि है!

वो हो जाते मुक्त एक दिन, जो बंधन ढीला करते हैं!
सरसों जैसे फूल खुशी के, जीवन को पीला करते हैं!"

....................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-२१.०१.२०१३

♥चुप-चुप..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥चुप-चुप..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
चुप-चुप है मेरा दिल, मेरे जज्बात भी चुप हैं!
आंखे भी हैं चुप-चाप, ख्यालात भी चुप हैं!

मैं किससे यहाँ शिकवा, मैं किससे गिला करूँ,
हैं लफ्ज़ भी खामोश, सवालात भी चुप हैं!

मज़बूरी मैं वो जबसे है, मजदूर बन गया,
बचपन की शरारत भी, कुराफात भी चुप हैं!

कह-कह के थक चुका हूँ मैं, किसने यहाँ सुना,
अब मेरी तबाही के वो, हालात भी चुप हैं!

मिन्नत भी उसने "देव" मेरी कर दी अनसुनी,
लगता है मेरे दर्द के, नग्मात भी चुप हैं!"

............चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-२०.०१.२०१३