Saturday 31 August 2013

♥♥मिट्टी का दीपक..♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मिट्टी का दीपक..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
बेबस लोगों की पीड़ा को, इन लफ्जों में भरने निकला!
मिट्टी का दीपक होकर भी, नया उजाला करने निकला!
नहीं जरुरी संत का चोला, हर इन्सां को संत बनाये,
मैं अपने एहसास पूजकर, सुन्दर माला करने निकला!

जो मानवता की नीति से, दुनिया को अपना कहते हैं!
ऐसे लोग सदा लोगों की, रूहों में जिन्दा रहते हैं!

मैं अपने छोटे कदमों से, बड़ा सफर तय करने निकला!
बेबस लोगों की पीड़ा को, इन लफ्जों में भरने निकला।

भले ही घर आँगन छोटा हो, दिल को अपने बड़ा करो तुम!
सच कहने से न घबराना, गलत काम से डरा करो तुम!
"देव" नहीं छोटा होता है, कोई इंसां जात धर्म से,
हर इन्सां को मानव समझो, सोच को अपनी बड़ा करो तुम!

सही काम जो मेहनत का हो, नहीं कभी छोटा होता है!
जो रहता तकदीर भरोसे, वो इन्सां तो बस रोता है!

मैं मेहनत की आंच में तपकर, खुद को सुंदर करने निकला!
बेबस लोगों की पीड़ा को, इन लफ्जों में भरने निकला।"

.....................चेतन रामकिशन "देव"......................
दिनांक-०१-०९.२०१३

Friday 30 August 2013

♥♥मेरे पास...♥♥

♥♥♥♥♥♥♥मेरे पास...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
दूरियां खत्म करो, मेरे पास हो जाओ!
मेरी गजलों का सखी, तुम लिबास हो जाओ!
अपने चेहरे की हंसी, नाम तेरे कर दूंगा,
दर्द से तुम जो कभी, गर उदास हो जाओ!

तेरी जुल्फों के लिए, फूल मैं बन जाऊंगा!
थाम के हाथ तुझे, रास्ता दिखाऊंगा!
देखके मुझको तेरे, होठों पे हंसी आये,
देखके तुझको सखी, मैं भी मुस्कुराऊंगा! 

प्यार ये अपना सखी, हमको अमर करना है!
हर जनम में तुझे पाने का, जतन करना है!

मेरे एहसास में रब बनके, वास हो जाओ!
दूरियां खत्म करो, मेरे पास हो जाओ!"

..........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-३०.०८.२०१३

Thursday 29 August 2013

♥♥थोड़ी सी जगह..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥थोड़ी सी जगह..♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरी मासूम मोहब्बत को तुम पनाह दे दो!
अपने दिल में मुझे थोड़ी सी, तुम जगह दे दो!

मैंने तुमसे ही उम्मीदें, यहाँ लगाईं हैं,
जरा बुझते हुए चराग को, हवा दे दो!

भरी दुनिया में नहीं कोई भी हमदर्द मेरा,
बड़ी मुश्किल में हूँ मैं, थोड़ी सी दुआ दे दो!

मेरे हर दर्द को, उस रोज शिफा मिल जाये,
अपने एहसास की, गर थोड़ी सी दवा दे दो!

"देव" मेरा भी इबादत में, यकीं हो जाये,
जो अगर मुझको, मोहब्बत का तुम खुदा दे दो!"

.............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-३०.०८.२०१३

Wednesday 28 August 2013

♥♥देखना चाहता है दिल...♥♥

♥♥♥♥♥♥देखना चाहता है दिल...♥♥♥♥♥♥♥
देखना चाहता है दिल, तुमको बार बार सखी!
तू ही एहसास मेरे दिल का है, करार सखी!
जिंदगी में नहीं खुशियों की, कमी है मेरी,
जब से बख्शा है मुझे तूने, अपना प्यार सखी!

सोचके तुझको मेरे दिल को, खुशी मिलती है!
मेरी अधरों को भी तुमसे ही, हंसी मिलती है!

मंद न करना कभी प्यार की रफ़्तार सखी!
देखना चाहता है दिल, तुमको बार बार सखी…

बांसुरी की भी धुनों में, तू समाई है सखी!
तूने ही सच की मुझे, राह दिखाई है सखी!
"देव" तकदीर मेरी, जो तुम्हारा प्यार मिला,
तेरी तस्वीर ही अब, दिल में लगाई है सखी!

मैं तेरे साथ में, अपने कदम बढ़ाऊंगा!
प्यार का दीप तेरे साथ, मैं जलाऊंगा!

हर घड़ी देना मुझे, अपना तू दीदार सखी!
देखना चाहता है दिल, तुमको बार बार सखी!"

..........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-२८.०८.२०१३

Tuesday 27 August 2013

♥राधिका बनके जरा..♥


♥♥♥♥♥राधिका बनके जरा..♥♥♥♥♥♥♥
राधिका बनके जरा जमुना किनारे आना,
प्यार के गीत सखी साथ साथ गायेंगे!

देखकर चाँद हमे रोशनी बिखेरेगा,   
और तारे भी हमें देखके, मुस्कायेंगे!

प्यार से दिल नहीं भरता है, इस जनम में सखी, 
हर जनम में के, तुझे अपना हम बनायेंगे!

तू मेरी राधिका बनकर के, साथ में रहना,
हम किशन बनके, तेरी रूह में समायेंगे!

राधिका तू जो कभी "देव" के घर आएगी,
खिलते फूलों से तेरी राह, हम सजायेंगे!"

..........चेतन रामकिशन "देव"............
दिनांक-२७.०८.२०१३

Sunday 25 August 2013

♥काला बाजार..♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥काला बाजार..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
देश के चारों स्तंभों को, अब मैं तो बाजार लिखूंगा!
मैं मुफलिस की आंख से गिरते, अश्कों की बौछार लिखूंगा!
न हिन्दू दुश्मन, न मुस्लिम, न ही सिख, इसाई कोई,
देश के गद्दारों की खातिर, झाँसी की तलवार लिखूंगा!

देश के भीतर छुपे हुए, दुश्मन को सब मिलकर के छांटो!
देश का दुश्मन तो दुश्मन है, हिन्दू मुस्लिम में क्यूँ बाँटो!

मातृभूमि के हित में अपने, लहू की मैं तो धार लिखूंगा!
देश के चारों स्तंभों को, अब मैं तो बाजार लिखूंगा………

लोग करोड़ों इस भारत के, दो रोटी की खातिर मरते!
और देश के खद्दरधारी, अरबों का घोटाला करते!
"देव" देश में निर्दोषों को, यहाँ सजा मिलती है लेकिन,
सड़कों पे औरत की इज्ज़त, गुंडे देखो छलनी करते!

देश के भीतर ही देखो तुम, नहीं सुरक्षित देश की नारी!
और देश के युवा वर्ग को, मार रही है ये बेकारी!

जिसको फिक्र नहीं लोगों की, क्या उसको सरकार लिखूंगा!
देश के चारों स्तंभों को, अब मैं तो बाजार लिखूंगा!"

.....................चेतन रामकिशन "देव"...................
दिनांक-२६.०८.२०१३

Saturday 24 August 2013

♥ माँ( दुआओं का खजाना)...♥



♥♥♥♥♥ माँ( दुआओं का खजाना)...♥♥♥♥♥♥
दुआ माँ के खजाने से, कभी भी कम नहीं होती!
कभी माँ अपने बच्चों को, सुलाए बिन नहीं सोती!
ये दुनिया जो भी है यारों, बदौलत माँ की ही तो है,
नहीं मिलता जनम हमको, अगर जो माँ नहीं होती!

माँ श्रद्धा है, माँ वंदन है, है माँ ही आस्था देखो!
दिखाए माँ ही बच्चों को, ये सच का रास्ता देखो!

भले ही क्रोध में हो माँ, मगर ममता नहीं खोती!
दुआ माँ के खजाने से, कभी भी कम नहीं होती…

मैं अपनी जिंदगानी में परेशां, जब भी होता हूँ!
मैं माँ की गोद रखकर के अपने सर को रोता हूँ!
मेरी माँ हाथ जब अपने, मेरे सर पर फिराती है,
हर एक उलझन मेरी मिटती, खुशी की नींद आती है!

समर्पण माँ से ज्यादा कोई देखो, कर नहीं सकता!
दुआ देती है माँ जितनी, कोई वो कर नहीं सकता!

माँ अपने दिल में देखो, द्वेष के अंकुर नहीं बोती !
दुआ माँ के खजाने से, कभी भी कम नहीं होती…

वो जिनके दिल में माँ के वास्ते, सम्मान होता है!
दुआ से माँ की उनका, हर सफर आसान होता है!
सुनो तुम "देव" भूले से भी, माँ को अश्क न देना,
के माँ के देखकर आंसू, वहां भगवान रोता है!

माँ रचना है, माँ पालन है, माँ बच्चों की विधाता है!
के माँ को देखकर बच्चों की, सूरत चैन आता है!

नहीं मिलता से दौलत से, यहाँ माँ नाम का मोती!
दुआ माँ के खजाने से, कभी भी कम नहीं होती!"

"
माँ, दुनिया का सबसे उच्च मानवीय सम्बन्ध, जिसका कोई विकल्प नहीं!
ममता से भरा ह्रदय, जो बच्चों के लाख दिल दुखाने के बाद भी, अपने मुख से बच्चों के प्रति कभी कोई बद्दुआ नहीं निकलती, तो आइये धरती पर विधाता का प्रतिरूप लिए, माँ के इस चरित्र को नमन करें!"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२५.०८.२०१३

" मेरी माँ कमला देवी जी एवं प्रेमलता जी को समर्पित"

"
सर्वाधिकार सुरक्षित,
मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व प्रकाशित!"

चित्र साभार-सम्मानित कवयित्री दीपिका जी!

Friday 23 August 2013

♥♥ खुशी की आस ...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!

ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!

भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…

नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!

अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!

उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"

.................चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-२३.०८.२०१३

♥ खुशी की आस ...♥

♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!

ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!

भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…

नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!

अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!

उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"

................चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२३.०८.२०१३

♥ खुशी की आस ...♥

♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!

ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!

भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…

नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!

अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!

उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"

................चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२३.०८.२०१३

♥ खुशी की आस ...♥

♥♥♥♥♥♥♥ खुशी की आस ...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!
मुझे पाना है मंजिल को, सदा ये प्यास रखी है!
भले ही उम्र भर मैंने, यहाँ सब कुछ गंवाया है,
मगर माँ बाप की हर सीख, अपने पास रखी है!

ये दौलत रूह के रिश्तों के, जैसी हो नहीं सकती!
ये दौलत प्यार के पौधे, दिलों में बो नहीं सकती!

भले ही दर्द पाया पर, हकीक़त खास राखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है…

नहीं इंसान जो औरों के दुख में, काम न आये!
दुआ करना किसी के घर, गमों की शाम न आये!
सुनो तुम "देव" मुझको कद्र है, तेरी मोहब्बत की,
तुम्हे देखे बिना दिल को, मेरे आराम न आये!

अभावों में भी जो मंजिल को, अपनी ठान लेते हैं!
जो अपनी आत्मा तक देखो, खुद को जान लेते हैं!

उन्ही लोगों ने कायम आज तक, इतिहास रखी है!
गमों की रात है लेकिन, खुशी की आस रखी है!"

................चेतन रामकिशन "देव"...............
दिनांक-२३.०८.२०१३

Thursday 22 August 2013

♥♥तारों की गिनती...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥तारों की गिनती...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
ख्वाब तुम्हारे बुन लेता हूँ, दिल की धड़कन सुन लेता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ!

अब तेरी तस्वीरों से भी, बात-चीत की आदत डाली!
सखी ईद का चाँद तुम्ही हो, तुम ही हो होली दिवाली!
तुम्हे देखकर मेरा चेहरा, खिल जाये फूलों के जैसा,
सात रंगों की रंगोली तुम, तुम फूलों की नाजुक डाली!

रूह सोंप दी तुमको मैंने, तुमको अपना मन देता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ.

तेरी पायल की रुनझुन से, मैंने ये संगीत बनाया!
तुम्हे देखके गजलें लिखीं, तुम्हे देखकर गीत बनाया!
"देव" तुम्हारे अपनेपन से, प्रेरक क्षमता में वृद्धी है,
खुशियाँ आईं हैं आँगन में, जब से तुमको मीत बनाया!

सखी तुम्हारी सीख से मैं अब, सही गलत को चुन लेता हूँ!
जब न आये नींद तेरे बिन, तो मैं तारे गिन लेता हूँ!"

...................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-२२.०८.२०१३

Wednesday 21 August 2013

♥इतना इंतजार...♥


♥♥♥♥♥♥♥इतना इंतजार...♥♥♥♥♥♥♥♥
मुझको तुम इतना इंतजार, न कराया करो!
जब बुलाऊं तो मेरे पास, चली आया करो!
मैं तेरी आँख से, दुनिया को देखना चाहूँ,
अपनी आँखों से मुझे, सारा जग दिखाया करो!

तुम मेरे साथ हो तो, कोई कमी होती नहीं!
मेरे आँखों में भी देखो के, नमी होती नहीं!

मेरे गीतों को, मेरे साथ में तुम गाया करो!
मुझको तुम इतना इंतजार, न कराया करो…

मेरे सपने भी हैं तुमसे, के मेरे साथ रहो!
मैं तेरा दर्द सहूँ तुम, हमारा दर्द सहो!
"देव" तुम रूठ के, मुझसे न दूर जाना कभी,
मेरे एहसास की धारा में, मेरे साथ बहो!

रास्ते तंग हैं लेकिन, न हार जाना तुम!
आखिरी सांस तलक प्यार को, निभाना तुम!

तुम जुदाई के डर से, अश्क से न बहाया करो!
मुझको तुम इतना इंतजार, न कराया करो!"

................चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-२१.०८.२०१३

Tuesday 20 August 2013

♥♥अपनी आँखों में...♥♥


♥♥♥♥♥♥अपनी आँखों में...♥♥♥♥♥♥
अपनी आँखों में मुझको, छुपा लीजिये!
प्यार के ढाई अक्षर, सिखा दीजिये!

साथ जनमों तलक, जो मिटे न कभी,
रूह पे नाम अपना, लिखा दीजिये!

बिन तेरे नींद आती, नहीं हमनवा,
अपने आँचल में, मुझको सुला दीजिये! 

मैं भटकता हूँ देखो, यहाँ से वहां,
मुझको मंजिल का, रस्ता दिखा दीजिये!

"देव" तुम बिन मेरी आँख, नम है बहुत,
पास आकर ये आंसू, सुखा दीजिये!"

..........चेतन रामकिशन "देव".......
दिनांक-२०.०८.२०१३

Monday 19 August 2013

♥तन्हाई के बादल..♥

♥♥♥♥तन्हाई के बादल..♥♥♥♥♥
मेरी तन्हाई मुझको सताने लगी!
आज फिर जो तेरी याद आने लगी!

दिन में जलता रहा, दर्द की धूप में,
रात मुझको गमों में, डुबाने लगी!

मेरे दिल में मेरी, रूह में तू ही तू,
तू भले ही नजर, अब चुराने लगी!

लाख चेहरे बदल, लाख खुद को छुपा,
झूठ से कब, हकीक़त ठिकाने लगी!

"देव" तुमसे नहीं कोई, शिकवा गिला,
मेरी किस्मत ही दिन ये, दिखाने लगी!"

.........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-१९.०८.२०१३

Sunday 18 August 2013

♥♥उम्मीदों की स्याही...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥उम्मीदों की स्याही...♥♥♥♥♥♥♥♥
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं!
के अपने दर्द से देखो, बगावत कर रहा हूँ मैं!

है दिल में दर्द पर, लेकिन हंसी ये छूट न जाये!
यही कोशिश है मेरी दिल, किसी का टूट न जाये!
कमी करते हैं अपने पर, मैं अपने सर झुकाता हूँ,
यही कोशिश है मेरी, कोई अपना रूठ न जाये!

गमों के फूल से, दिल की सजावट कर रहा हूँ मैं!
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं….

मुखोटा जड़ के चेहरों पे, यहाँ पर लोग मिलते हैं!
लुटेरों के यहाँ देखो, गुलाबी फूल खिलते हैं!
यहाँ पर "देव" ऐसे लोग, अब नजरों से ओझल हैं,
भुलाकर दर्द जो अपना, किसी के घाव सिलते हैं!

कभी हालात बदलेंगे, ये चाहत कर रहा हूँ मैं!
उम्मीदों की स्याही से, लिखावट कर रहा हूँ मैं!"

...............चेतन रामकिशन "देव".............
दिनांक-१९.०८.२०१३

Saturday 17 August 2013

♥♥माँ का दुलार...♥♥


♥♥♥♥♥♥माँ का दुलार...♥♥♥♥♥♥♥♥
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए!
शब्द ममता से तेरी, अलंकृत हुए!
मुश्किलों से मैं अब, हंसके लड़ता हूँ माँ,
बल तेरी ही दुआओं से, अर्जित हुए!

माँ के जैसा जहाँ में, नहीं कोई है!
बिन सुलाए मुझे, माँ नहीं सोई है!

फूल उपवन के माँ को, समर्पित हुए!
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए…

माँ सदा उन्नति का ही, वरदान दे!
अपनी संतान के मुख पे, मुस्कान दे!
"देव" माँ अपने बच्चों की, प्रथम गुरु,
अपनी संतान को, सत्य का ज्ञान दे!

माँ के दिल को कभी, तुम दुखाना नहीं!
माँ की आँखों से आंसू, बहाना नहीं!

शब्द मेरे सभी माँ को, अर्पित हुए!
मन की वीणा के भी, तार झंकृत हुए!"

........चेतन रामकिशन "देव".........
दिनांक-१७.०८.२०१३

Friday 16 August 2013

♥ढाई अल्फाज मोहब्बत के...♥


♥♥♥♥ढाई अल्फाज मोहब्बत के...♥♥♥♥♥
प्यार करती हो अगर, तो मुझे तुम बतला दो!
ढाई अल्फाज मोहब्बत के, मुझे सिखला दो!

मेरी बेचैनी का आलम, तू जानती है पर,
ये अलग बात है तुम, जानकर के झुठला दो!

बिना तेरे मेरी तन्हाई, सताती है मुझे,
अपनी चाहत से बरफ, दर्द की ये पिघला दो!

हर घड़ी लोग उसे, दिल से गुनगुनायेंगे,
अपने हाथों से ग़ज़ल का, जो जरा मतला दो!

"देव" इंकार का तुम, डूबा चाँद मत देना,
मुझे तुम प्यार की पूनम का, चाँद उजला दो!"

.............चेतन रामकिशन "देव".................
दिनांक-१६.०८.२०१३


Tuesday 13 August 2013

♥♥तुम्हारी निकटता...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥तुम्हारी निकटता...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
निकट रहना सदा मेरे, कभी तुम दूर न जाना!
सदा ही फूल चाहत के, मेरे जीवन में बरसाना!
भटक जाऊ अगर मैं, कोई रास्ता जिंदगानी में,
पकड़ कर हाथ को मेरे, सही तुम राह दिखलाना!

तुम्हारी प्रीत का ये रंग, मेरे दिल को भाता है!
ये सूरत देखकर तेरी, मेरा दिल मुस्कुराता है!

तुम्हारी राह जब देखूं, तभी मिलने चली आना!
निकट रहना सदा मेरे, कभी तुम दूर न जाना

तुम्हारी प्रीत को पाकर, सखी सब कुछ यहाँ पाया!
तुम्हारी प्रीत की खुश्बू ने, मेरे घर को महकाया!
तुम्हारी प्रीत पावन है, तुम्हारी प्रीत कोमल है,
तुम्हारी प्रीत में दिखती है, मुझको ईश की छाया!

बड़ी मीठी, बड़ी सुन्दर, सखी तेरी ये बोली है!
तू दीपक है दिवाली का, तू ही रंगों की होली है!

सखी मेहँदी के रंगों से, मेरे हाथों को रंग जाना! 
निकट रहना सदा मेरे, कभी तुम दूर न जाना!

न कोई रंक, न कोई, यहाँ धनवान होता है!
सखी इस प्रीत में तो बस, यहाँ इंसान होता है!
सुनो तुम "देव" दुनिया में, जरा ये बात पहचानो,
के देखो प्रीत से ही, हर सफर आसान होता है!

सखी जिस दिल में देखो, प्रीत के ये भाव होते हैं!
वहां गहरे तिमिर में भी, उजाले साथ होते हैं!

सखी तुम ही मुझे अच्छे बुरे का, अर्थ समझाना!
निकट रहना सदा मेरे, कभी तुम दूर न जाना!"
.............चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-१४.०८.२०१३
"
प्रेम-एक ऐसा सम्बन्ध, जिसके अंगीकार करने से, जीवन की हर कठिनता सरल हो जाती है, समर्पण के साथ, प्रेम का अंगीकार करने से, व्यक्ति अभावों में भी, हंसकर जीवन व्यतीत कर लेते हैं! तो आइये प्रेम का अंगीकार करें!"
"
सर्वाधिकार सुरक्षित"


♥दिल का एहसास...♥


 ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥दिल का एहसास...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
इक पल को भी जो तुम मेरे, इस दिल का एहसास समझते!
तो तुम मुझको इस दुनिया में, सबसे ज्यादा खास समझते!
मीलों की दूरी भी देखो, कदम बराबर लगती तुमको,
जो तुम दिल में मुझे वसाकर, अपने बेहद पास समझते!

मेरे ख्वाबों को तुम अपने, हाथों से न तोड़ा करता!
तुम मेरी तस्वीर से हमदम, अपना मुंह न मोड़ा जरते!
"देव" जो तुमको इस दुनिया में, दर्द मेरा खुद जैसा लगता,
तो हमदम तुम मरते तक, साथ मेरा न छोड़ा करते!

मेरे दिल की पीड़ा को तुम, रूह से अपनी काश समझते!
इक पल को भी जो तुम मेरे, इस दिल का एहसास समझते!"

...........................चेतन रामकिशन "देव".......................
दिनांक-१३.०८.२०१३

Monday 12 August 2013

♥♥ एहसासों की नरमी..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥ एहसासों की नरमी..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सखी रिक्त है मेरा जीवन, प्रेम से मेरी झोली भर दो!
इन्द्रधनुष के रंग भेजकर, जीवन को रंगोली कर दो!
बिना प्रेम के मेरा जीवन, रहता है बस मुरझाया सा,
सखी मेरे गुमसुम जीवन को, दीवाली और होली कर दो!

सावन की मेहँदी से अपने, दिल पे तेरा नाम लिखा है!
हरियाली और खुशहाली में, सखी तुम्हारा रूप दिखा है!
"देव" तुम्हारे प्यार से, मैंने एहसासों की नरमी पाई,
सखी तुम्हारे प्यार से गजलें, और मनभावन गीत लिखा है!

तुम बिन हूँ मैं मिट्टी का कण, छूकर मुझको रौली कर दो!
सखी रिक्त है मेरा जीवन, प्रेम से मेरी झोली भर दो!"

......................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-१२.०८.२०१३

Saturday 10 August 2013

♥♥नयी रात...♥♥


♥♥♥♥♥♥♥नयी रात...♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रात बेशक ही नयी, जिंदगी में आई है!
मेरे दामन में मगर, आज भी तन्हाई है!

फिर से पाया है यहाँ, गम का अँधेरा मैंने,
रोशनी पल को भी चौखट पे, नहीं आई है!

वक़्त की चाल है, या जुल्म कोई किस्मत का,
क्यूँ शरीफों के लिए, दर्द है, रुसवाई है!

तुमसे बिछड़े हुए, बेशक ही जमाना बीता,
तेरी तस्वीर नहीं, आज तक जलाई है!

"देव" माँ कहती है के, सब्र का फल मीठा हो,
सोचके बात ये, उम्मीद फिर लगाई  है!"

.........चेतन रामकिशन "देव"..........
दिनांक-१०.०८.२०१३

Friday 9 August 2013


♥♥♥♥♥♥♥♥♥समझोते की सौगात ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
देश के आका चुप बैठे हैं, और सैनिक बेमौत मर रहे!
हम बस अपने हाथ जोड़कर, समझोते की बात कर रहे!
किन्तु समझोते की बातें, जिस दुश्मन को समझ न आये,
हम आखिर क्यूँ उस दुश्मन से, प्यार वफ़ा की बात कर रहे!

समझोते भी किये हैं हमने, लेकिन फिर भी मौत मिली है!
हम लोगों के घर में मातम, दुश्मन के घर धूप खिली है!

देख के झंडे में लिपटे शव, अश्कों के सैलाब गिर रहे!
देश के आका चुप बैठे हैं, और सैनिक बेमौत मर रहे…

प्यार वफ़ा की बातों को, जब दुश्मन अनदेखा करता है!
क्षमादान ऐसे अवसर पर, और भी उसको दृढ करता है!
समझोते को तय करके भी, हमने अब तक कुछ नहीं पाया,
और दुश्मन हम लोगों का, दामन यूँ ही छलनी करता है!

प्यार की भाषा उसे सुनाओ, जिसको प्यार समझ आता हो!
उसको प्यार नहीं देना जो, प्यार के तोहफे ठुकराता हो!

रो रोकर अपने हाथों से, चिता की हम तो राख भर रहे!
देश के आका चुप बैठे हैं, और सैनिक बेमौत मर रहे…

जिस भी देश के आकाओं का, अगर होंसला कम होता है!
उसी देश में निर्दोषों के, घर में ये मातम होता है!
"देव" प्यार उसको बांटों तुम, प्यार जो बदले में देता को,
दुश्मन को ये समझा दो के, निर्दोषों में दम होता है!

देश के आकाओं अब देखो, समझोते की बात भुला दो!
अपना घर फूँका है जिसने, उसके घर में आग लगा दो!

सच्चाई के साथ जहाँ है, क्यों लड़ने से खौफ कर रहे!
देश के आका चुप बैठे हैं, और सैनिक बेमौत मर रहे!"


"
समझोता, प्रेम, वफ़ा, अपनत्व, स्नेह-ये सब शब्द उस आत्मीय नीति के प्रतीक हैं, जो समर्पण की विषय वस्तु का हिस्सा हैं! हम प्रेम बांटते रहें और दुश्मन हमें हिंसा के खून में रंग जाये, तो कतिपय ऐसे प्रेम की नीति, सुखद नहीं हो सकती! देश के आकाओं को, निर्णय करना ही चाहिए, आखिर समझोते और प्रेम बाँटने से, सिर्फ मौत के बदले मिला क्या है?"

चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१०.०८.२०१३




Thursday 8 August 2013

♥♥मेहँदी का रंग ♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥मेहँदी का रंग ♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
सावन के झूलों पे रौनक, और मेहँदी पे रंग आया है!
जब से मैंने इस दुनिया में , सखी तुम्हारा संग पाया है!
बिना तुम्हारे मेरा जीवन, थका थका और दिशाहीन था,
सखी तुम्हारे से प्यार से मुझको, इस जीवन का ढंग आया है!

सखी चाँद सा चेहरा तेरा, तुझे देखकर ईद मनाऊं!
कुछ तू अपनी बात सुनाना, कुछ मैं अपनी तुझे सुनाऊं!

शब्द भी तेरे प्यार में डूबे, गीत भी तेरे संग गाया है!
सावन के झूलों में रौनक, और मेहँदी पे रंग आया है!"

......................चेतन रामकिशन "देव"....................
दिनांक-०८.०८.२०१३