Wednesday 21 November 2012

♥दर्द और दवा ♥


♥♥♥♥दर्द और दवा ♥♥♥
बिना दर्द के दवा कहाँ है,
बिना घुटन के हवा कहाँ है,
चोट लगे न जब तक खुद को,
तब तक रब से दुआ कहाँ है!

रिश्ते तो हैं ताश के पत्ते,
जब तब देखो ढह जाते हैं!
लोग यहाँ पर भीड़ में देखो,
तनहा तनहा रह जाते हैं!
लेकिन तुम अपने जीवन को,
नहीं टूटकर गिर जाने दो,
वही लोग दृढ बनते एक दिन,
जो पीड़ा को सह जाते हैं!

बिना आग के धुआं कहाँ है!
बिना दिवस के निशा कहाँ है!
चोट लगे न जब तक खुद को,
तब तक रब से दुआ कहाँ है!"

... (चेतन रामकिशन "देव") .....

♥तेरे प्रेम की दमक♥


♥♥तेरे प्रेम की दमक♥♥♥
तेरे प्यार से दमक रहा हूँ,
जैसा तारा नीलगगन में!
हर्ष की वर्षा बरस रही है,
जब से तुम आई जीवन में!

तू गंगा जसी जल धारा 
तेरा मुख है चाँद सा प्यारा,,
जीवन में उपवन महका है,
जब से तूने दिया सहारा!

तुझे आत्मा से चाहा है,
तू ही चिंतन और मनन में!
तेरे प्यार से दमक रहा हूँ,
जैसा तारा नीलगगन में!

..चेतन रामकिशन "देव"...