Tuesday 24 July 2012

♥जाने क्यूँ..♥


♥♥♥♥♥जाने क्यूँ..♥♥♥♥♥
जाने क्यूँ लिखना चाहता है!
ये दिल कुछ कहना चाहता है!
जाने क्यूँ ये दर्द समझकर,
आंसू बन बहना चाहता है!

जन्म से इस दिल में न कोई, नफरत के लक्षण होते हैं!
हमी लोग इस दिल में देखो, लालच के अंकुर बोते हैं!

इसीलिए तो किसी के दुख में, ये दिल भी रोना चाहता है!
एक दूजे को समझ के अपना, प्रेम बीज बोना चाहता है!

हम इंसां अपने ही हित में, दिल को पत्थर बना रहे हैं!
भेदभाव के संबोधन से, प्यार के अक्षर भुला रहे हैं!

आज इसी बंधन की पीड़ा,
हम सब से कहना चाहता है!
जाने क्यूँ ये दर्द समझकर,
आंसू बन बहना चाहता है!"

"                            "
चेतन रामकिशन "देव"