Thursday 19 July 2012

♥प्यार का नज़ारा..♥


♥♥♥♥♥प्यार का नज़ारा..♥♥♥♥♥♥♥
मेरी आँखों में तेरे प्यार का नज़ारा है!
तेरा ये प्यार सनम मुझको बड़ा प्यारा है!


तेरे ही प्यार से जीवन में खुशहाली आई!
तेरे ही प्यार में होली और दिवाली आई!
मेरी आँखों में तेरा चेहरा बसा है हमदम,
तेरे यादों में निशा, सुबह की लाली आई!


तू मेरे सामने आ जाती है इक पल में ही,
मैंने आवाज दे, जब-जब तुझे पुकारा है...


तू तो हर पल ही मेरे प्यार के एहसास में है !
मेरे वादों, मेरी कसमो, मेरे विश्वास में है !
तेरी यादों से महकता है, मेरा घर हमदम,
तू मेरे प्यार के सतरंगी से, आकाश में है !


तू मेरे दुख का हमसफ़र, मेरा सहारा है!
मेरी आँखों में तेरे प्यार का नज़ारा है...


तेरे दीदार से, हर पल मेरा खिल जाता है!
खुदा से जो भी मैं मांगूं वाही मिल जाता है 
तेरे यौवन से देखो, चांदनी भी जलने लगी,
क्यूंकि ये चाँद तेरे आने पे शर्माता है !


"देव" की ज़िन्दगी को, तुमने ही संवारा है!
मेरी आँखों में तेरे प्यार का नज़ारा है!"


"
प्यार- सचुमच रंगत भरने वाला एहसास, जीवन को आत्मविश्वास से जोड़कर अग्रसर होने की शक्ति जहाँ प्यार देता है तो वहीँ, दुख के पलों में संवेदना देने का कार्य भी प्यार करने वालों को एक दूसरे से परस्पर प्राप्त होता है, तो आइये प्यार के इन सुखद और अनमोल पलों का एहसास करें!"


चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-२०.०७.२०१२

♥प्यार की खुशबू..♥

♥♥♥♥♥प्यार की खुशबू..♥♥♥♥♥♥♥♥♥
प्यार की रोली से, दुनियां को हम सजाते चलें 
ज़मी सजाते चलें, आसमा सजाते चलें

जिंदगी तो नहीं काफ़ी, मोहब्बतों के लिए
कीमती उम्र को, लड़ने में न गंवाते चलें!

प्रेम की खुशबू से महका दें हम जहां सारा, 
दुखी दिलों में खुशी की कली खिलाते चलें!

अपनी सच्चाई से रौशन, करें जमाने को,
ईमां के पथ पे वफ़ा के दिए जलाते चलें!

ख़ुलूस पैदा करें, अपनी हम दुआओं में,
प्यार की बोली से नफरत को हम मिटाते चलें!"

.............चेतन रामकिशन "देव"...............

जीने का मतलब..

♥♥♥♥♥जीने का मतलब..♥♥♥♥
बिना तुम्हारे जीवन में वीराना है!
तुमसे ही जीने का मतलब जाना है!

दो जिस्मों में एक जान जैसे हैं हम,
साथ जियेंगे, साथ साथ मर जाना है!

आंसू और पीड़ा में भी, हमदर्द हैं हम,
एक दूजे की खुशियों में मुस्काना है!

लोग प्यार को नहीं, वासना से जोडें,
हमे प्यार को इतना, नेक बनाना है!

ये युग तो कम पड़ जाएगा "देव" सुनो,
युगों युगों तक साथ में जीवन पाना है!"

.........चेतन रामकिशन "देव"............

♥आकाश के तारे..♥

♥♥♥♥♥♥आकाश के तारे..♥♥♥♥♥♥♥
आकाश के तारों की तरह जगमगायेंगे!
हम लोग मोहब्बत के गीत गुनगुनायेंगे!

जाति की, धर्म की सभी मिटाके दूरियां,
इक दूसरे को, अपने गले से लगायेंगे!

खुद के लिए जीने को नहीं जिंदगी मिली,
औरों का दर्द देखके, आंसू बहायेंगे!

चाहत का दौर थमता नहीं है बदन तलक,
हम अपनी मोहब्बत को, रूहानी बनायेंगे!

हाथों की लकीरों से, हमको नहीं डरना,
हम "देव" अपनी किस्मतों को आजमाएंगे!"

...........चेतन रामकिशन "देव"..................

♥अभिमान के अंकुर..♥

♥♥♥♥♥अभिमान के अंकुर..♥♥♥♥♥
अभिमान के अंकुर तुम क्यूँ बोते हो!
क्यूँ जीवन से अपनेपन को खोते हो!

मानव का आभूषण होती कोमलता,
क्यूँ फिर पत्थर के दिल जैसे होते हो!

जब अवसर था, तब तो लापरवाह रहे,
वक़्त गुजरने पर, तुम फिर क्यूँ रोते हो!

सच्चाई के निशां, कभी न मिटते हैं,
झूठ से क्यूँ फिर, सच्चाई को धोते हो!

अगर पड़ोसी "देव" तुम्हारा दुख में है,
क्यूँ फिर चादर तान के चुप चुप सोते हो!"

...."शुभ-दिन"....चेतन रामकिशन "देव"....

♥♥"आनंद" सो गया...♥♥♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥"आनंद" सो गया...♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
रंगमंच की गतिविधि का, सञ्चालन भी मंद हो गया!
आज मौत की चिरनिंद्रा में, जो अपना "आनंद" सो गया!

जिसके अभिनय की क्षमता से, परदे पर रंगत आती थी!
कभी हंसी से दिल हँसता था, कभी आंख भी भर आती थी!
एक तरफ तो इक "रोटी" ने, उसको मुजरिम बना दिया था,
कभी देखिये "अमर प्रेम" की, गाथा मन को भा जाती थी!

पूर्ण हुआ है "सफ़र" उसी का, फूलों से मकरंद खो गया!
रंगमंच की गतिविधि का, सञ्चालन भी मंद हो गया!"

....सुपरस्टार आनंद राजेश खन्ना को नम आँखों से नमन..

....................चेतन रामकिशन "देव".................

♥आशाओं के पंख..♥

♥♥♥♥♥♥♥♥♥आशाओं के पंख..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
आशाओं के पंख लगाकर, उड़ने का प्रयास करो!
ये दुनिया कितनी सुन्दर है, इसका तो आभास करो!


इस दुनिया में कोई मंजिल पाना यारों कठिन नहीं है,
तुम अपनी इच्छा शक्ति पर इतना तो विश्वास करो !


अपने सुख की खातिर तो, दुनिया का हर इन्सां जीता है
लेकिन कभी परायों के भी, आंसू का एहसास करो !


जिस्मो तक ही जो सीमित हो वो तो कोई प्यार नहीं
सच्ची चाहत करनी है तो, रूहानी एहसास करो!

"देव" जो चाहो दुनिया तुम को अपनी पलकों पर बैठा ले ,
जन-जीवन का हितकारी हो, काम कुछ ऐसा ख़ास करो!"

..................चेतन रामकिशन "देव"......................