Thursday 20 March 2014

♥मेरे जीवन में…♥

♥♥♥♥मेरे जीवन में…♥♥♥♥
बनकर चाँद मेरे आंगन में!
चली आओ मेरे जीवन में!
तुझसे हर एहसास पनपता,
वसी है तू ही अंतर्मन में!

तू दुनिया से न्यारी लगती!
तू फूलों की क्यारी लगती!
बिना तेरे मेरा जग सूना,
तू कोमल और प्यारी लगती...

गंगाजल सी पावन है तू,
खुशबु तेरी घुली पवन में!
तुझसे हर एहसास पनपता,
वसी है तू ही अंतर्मन में!

नैतिकता की सीमा तुझसे!
कविताओं की उपमा तुझसे!
नहीं विरत होने दे पथ से,
शब्दकोष की गरिमा तुझसे...

छुअन तुम्हारी बड़ी ही प्यारी,
नम्र भावना है चिंतन में!
तुझसे हर एहसास पनपता,
वसी है तू ही अंतर्मन में!

भाषा की मीठी बोली में!
तू कुदरत की रंगोली में!

"देव" तुझी से दीवाली है,
तू शामिल मेरी होली में!

खुशबु तेरी, रोटी में है,
स्वाद तुझी से है भोजन में!"

.....चेतन रामकिशन "देव"…….
दिनांक- २०.०३.२०१४

2 comments:

राजीव कुमार झा said...

बहुत सुंदर प्रस्तुति.
इस पोस्ट की चर्चा, शनिवार, दिनांक :- 22/03/2014 को "दर्द की बस्ती":चर्चा मंच:चर्चा अंक:1559 पर.

संजय भास्‍कर said...

बहुत खुबसूरत एहसास पिरोये है अपने......