Tuesday 19 March 2013

♥♥मन की सरगम..♥♥


♥♥♥♥♥♥♥♥मन की सरगम..♥♥♥♥♥♥♥♥♥♥
मेरे मन की सरगम हो तुम, अंतर्मन का गान!
सखी तुम्हारे प्रेम से रहते, मेरे तन में प्राण!
तुम ज्योति जलते दीपक की, तुम सूरज की धूप,
तुम्ही चाँदनी की शीतलता, भोर का तुम आहवान!

सदा ही मेरे साथ चलीं तुम, थाम के मेरा हाथ!
हर पीड़ा में, हर उलझन में, दिया है तुमने साथ!

सखी तुम्हारे प्रेम से हो गई, हर मुश्किल आसान!
मेरे मन की सरगम हो तुम, अंतर्मन का गान....

तुम निर्देशन, तुम अवलोकन, तुम करती सहयोग!
सखी तुम्हारे प्रेम से देखो, मिटा दुखों का रोग!
तुम सावन की मधुरम वर्षा, तुम उपवन का फूल,
तुम्ही तेज हो मुखमंडल का, तुम्ही हर्ष का योग!

सखी तुम्हारे प्रेम से होता, उर्जा का संचार!
सखी तुम्हारे प्रेम से सुन्दर, लगता है संसार!

तुम गौरव हो जीवन पथ का, तुम मेरा सम्मान!
मेरे मन की सरगम हो तुम, अंतर्मन का गान..

बड़ा ही गहरा होता है ये, प्रेम का अदभुत रंग!
अंतिम क्षण तक साथ रहूँगा, सखी तुम्हारे संग!
सखी तुम्हारे प्रेम का जबसे, किया "देव" ने बोध,
तबसे हमको पीड़ा दुःख ने, नहीं किया है तंग!

बड़े ही प्यारे, बड़े ही सुन्दर, सखी तेरे उदगार!
सखी बड़ा ही सुखमय लगता, तेरे प्रेम का सार!

तुम्ही नयनों का दर्शन हो, तुम्ही हमारा ध्यान!
मेरे मन की सरगम हो तुम, अंतर्मन का गान!"
"
प्रेम-एक ऐसा सम्बन्ध, एक ऐसी अनुभूति, जिसका प्रकाश, जीवन के भौतिक तिमिर को ही नहीं अपितु मानसिक तिमिर को भी, उज्जवल करता है! प्रेम, जहाँ होता है वहां, अपनत्व की संभावनायें, अत्यंत प्रबल होती हैं! तो आइये प्रेम करें.."

"
चेतन रामकिशन "देव"
दिनांक-१९.०३.२०१३ 

"
मेरी ये रचना मेरे ब्लॉग पर पूर्व-प्रकाशित.."

5 comments:

कालीपद "प्रसाद" said...

बहुत सुन्दर प्रेम की अनुभूति ,बहुत सुन्दर अभिव्यक्ति
latest post सद्वुद्धि और सद्भावना का प्रसार
latest postऋण उतार!

कालीपद "प्रसाद" said...

चेतन रामकिशन जी ! आप से अनुरोध है की रोबोट वर्ड वेरिफिकेशन हटा दें .इस से कमेंट करने में दिक्कत होती है

Tamasha-E-Zindagi said...

बधाई हो आपकी उत्कृष्ट प्रस्तुति आज के ब्लॉग बुलेटिन पर प्रकशित की गई है | सूचनार्थ धन्यवाद |

chetan ramkishan "dev" said...

"
सम्मानित प्रसाद जी!
आपका आभारी हूँ!
आपका स्नेह अनमोल है!"

chetan ramkishan "dev" said...

"
सम्मानित तुषार जी!
आपका आभारी हूँ!
आपका स्नेह अनमोल है!"